नई दिल्ली। संसद का बजट सत्र शुक्रवार से शुरू हो रहा है। किसान आंदोलन और विपक्षी लामबंदी को देखते हुए इस सत्र का हंगामेदार होना तय माना जा रहा है। समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक विपक्षी दलों ने तीन नए कृषि कानूनों पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है। बजट सत्र की शुरूआत राष्ट्रपति द्वारा दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करने के साथ होगी जबकि पहली फरवरी को बजट पेश किया जाएगा।
कृषि कानूनों पर दिखेगी सियासी सरगर्मी
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने बताया कि कुल 16 विपक्षी दलों ने दिल्ली में गणतंत्र दिवस के दिन हिंसा की जांच कराने की भी मांग की है। यही नहीं कांग्रेस समेत 16 विपक्षी दलों ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के प्रति एकजुटता प्रकट करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के बहिष्कार का फैसला किया है।
संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने विपक्षी दलों को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है। समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति दलगत राजनीति से ऊपर हैं। हम विपक्ष से अपील करते हैं कि वह संसद में राष्ट्रपति के संबोधन के बहिष्कार के फैसले पर पुनर्विचार करे।
ये दल हुए लामबंद
समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक, 16 विपक्षी लामबंदी में कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, नेशनल कांफ्रेंस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, सपा, राजद, माकपा, भाकपा, आईयूएमएल, आरएसपी, पीडीपी, एमडीएमके, केरल कांग्रेस (एम) और एआईयूडीएफ शामिल हैं।
जीएसटी और कैश ट्रांसफर का मसला भी उठेगा
इस सत्र में जीएसटी, टैक्स में कमी करने, सीधा कैश ट्रांसफर का मसला भी छाए रहने की उम्मीद है। कांग्रेस ने गुरुवार को मांग की कि कोरोना संकट को देखते हुए सरकार जरूरतमंद लोगों को सीधा नकद हस्तांतरण की व्यवस्था शुरू करे और करों को कम करे।