टैक्स बचाने का एक ‘जुगाड़’ खत्म हो गया है। इसका इस्तेमाल ऊंची सैलरी पाने वाले एंप्लॉयीज करते रहे हैं। असल में आम बजट 2021 में एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड (EPF) और वॉलन्टरी प्रोविडेंट फंड (VPF) पर मिलने वाली ब्याज के लिए टैक्स छूट की सीमा तय करने का प्रावधान है। मतलब यह है कि एक साल में 2.5 लाख रुपये से ऊपर के प्रोविडेंट फंड कंट्रीब्यूशन पर मिलने वाली ब्याज पर अब नॉर्मल रेट्स से टैक्स लिया जाएगा। यह केवल एंप्लॉयीज के कंट्रीब्यूशन पर लागू होगा, एंप्लॉयर (कंपनी) के योगदान पर नहीं।
हाई-इनकम सैलरी वाले एंप्लॉयीज पर पडे़गा असर
मौजूदा प्रावधानों के तहत एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड, वॉलन्टरी प्रोविडेंट फंड और इग्जेम्प्टेड प्रोविडेंट फंड ट्रस्ट्स के इंटरेस्ट पर टैक्स से छूट मिली हुई है, भले ही पीएफ कंट्रीब्यूशन कितना ही ज्यादा क्यों न हो। बजट के इस नए प्रावधान का सीधा असर हाई-इनकम सैलरी वाले लोगों पर पडे़गा, जो कि टैक्स-फ्री इंटरेस्ट के लिए वॉलन्टरी प्रोविडेंट फंड का इस्तेमाल करते हैं। ईपीएफ एक्ट के तहत एंप्लॉयीज और एंप्लॉयर कंट्रीब्यूशन (कंपनी का योगदान) सैलरी का 12 फीसदी तय किया गया है। हालांकि, कर्मचारी स्वैच्छिक रूप से इस अमाउंट से ज्यादा का कंट्रीब्यूशन वॉलन्टरी प्रोविडेंट फंड (VPF) में कर सकते हैं। वीपीएफ में कंट्रीब्यूशन के लिए कोई ऊपरी लिमिट नहीं है।
बिना किसी लिमिट के पूरी ब्याज पर छूट का फायदा
बेंगलुरु के चार्टर्ड अकाउंटेंट प्रकाश हेगड़े का कहना है, ‘कुछ कर्मचारी प्रोविडेंट फंड्स (रेकग्नाइज्ड प्रोविडेंट फंड और ईपीएफ जैसे सेंट्रल गवर्नमेंट फंड) में ऊंची रकम का योगदान देते हैं और बिना किसी लिमिट के पूरी ब्याज पर छूट का फायदा उठाते हैं। बजट प्रपोजल में फाइनेंस मिनिस्टर ने साल में केवल 2.5 लाख रुपये तक के पीएफ कंट्रीब्यूशन पर मिलने वाली ब्याज पर छूट पर प्रस्ताव किया है।’ नई लिमिट 1 अप्रैल 2021 या इसके बाद किए गए कंट्रीब्यूशन पर लागू होगी। एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड के 1 फीसदी से कम कर्मचारियों पर इस कदम का असर पडे़गा।