जयपुर। राजस्थान के दौसा में तैनात रहे पूर्व पुलिस अधीक्षक मनीष अग्रवाल को एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने गिरफ्तार कर लिया. उनकी गिरफ्तारी की वजह एक कंपनी से जबरन पैसा वसूली बताया जा रहा है. उनके साथ ही एक और शख्स को गिरफ्तार किया गया है. जिसे दलाल बताया जा रहा है. उन पर दौसा में एसपी रहते हुए 38 लाख रुपए की रिश्वत लेने का आरोप लगा है. मनीष अग्रवाल दौसा में SP के पद पर तैनात थे. उन पर ये भी आरोप है कि हाइवे बना रही कंपनी से रकम वसूलने का आरोप है. कहा जा रहा है कि दलाल नीरज मीणा से काम में रुकावट नहीं डालने और वाहनों को जब्त नहीं करने के एवज में रिश्वत लेने का आरोप है.
ब्यूरो ने पिछले महीने ही दौसा में एक पेट्रोल पंप मालिक नीरज मीणा को गिरफ्तार किया था, जिसने मनीष अग्रवाल के नाम से राजमार्ग बनाने वाली कंपनी से वसूली की थी. उस वक्त मीणा के साथ दो आरएएस (राजस्थान प्रशासनिक सेवा) के अधिकारियो की भी 13 जनवरी को गिरफ्तारी हुई थी.
मामले में आईपीएस अधिकारी की शामिल होने की जांच के बाद मंगलवार को उनकी गिरफ्तारी की गई. एक व्हाट्सएप चैट के जरिए रिश्वत के खेल की परतें खुली थीं और मनीष अग्रवाल के शामिल होने की बात सामने आई थी. 2010 बैच के अधिकारी इस वक्त राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल में कंमाडेंट के रूप में काम कर रहे हैं. मनीष अग्रवाल पर इससे पहले भी कई आरोप लग चुके हैं. विवादों से मनीष अग्रवाल का नाता रहा है.
जानकारी के मुताबिक दौसा जिले के पुलिस कप्तान रह चुके अधिकारी मनीष अग्रवाल खुद जबरन वसूली और रिश्वतखोरी के मामले में फंस गए. एंटी करप्शन ब्यूरो ने पुलिस अधिकारी मनीष को जयपुर से गिरफ़्तार कर लिया.
एसीबी की टीम ने मनीष अग्रवाल के साथ नीरज नामक एक दलाल को भी गिरफ़्तार किया है. इन दोनों पर आरोप है कि इन्होंने मिलकर सड़क बनाने वाली एक कंपनी से ज़बरन पैसा वसूल किया है. अब इन दोनों से पूछताछ किए जाने की तैयारी है.
बता दें कि नवंबर 2020 में जैसलमेर में एक रिटायर्ड आरएएस अधिकारी को बाड़मेर में 5 लाख रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया था. अधिकारी के साथ ही एक दलाल को भी गिरफ्तार किया गया था. सेवानिवृत्त आरएएस को भूतपूर्व सैनिकों तथा पौन्ग विस्थापितों को आवंटित की जानेवाली जमीनों में दलाल के माध्यम से 5 लाख रुपये रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था.
इसी तरह से फरवरी 2020 में राजस्थान में एंटी करप्शन ब्यूरो ने परिवहन विभाग के 8 अधिकारियों और 7 दलालों को गिरफ्तार किया था. इस कार्रवाई में करीब डेढ़ करोड़ रुपये नकद बरामद हुए थे. हालांकि इस परिवहन मंत्री ने एंटी करप्शन ब्यूरो पर ही सवाल उठा दिए थे.