उत्तरप्रदेश। कहते हैं यदि आपके अंदर कुछ करने की इच्छा शक्ति हो तो मंजिल मिल ही जाती है। इसी सोच को जीवन का हिस्सा बना रहे राजधानी के चार नौजवानों ने बेसहारा बेजुबानों के लिए कुछ करने का न केवल संकल्प लिया, बल्कि उस रास्ते पर चल पड़े। बेसहारा मवेशियों की सुरक्षा के लिए वाहनों में लगने वाली पीली पट्टी का बेल्ट तैयार किया और फिर बेहसरा मवेशियों और श्वानों के गले में पहनान शुरू कर दिया। गणतंत्र दिवस से शुरू की इस नई पहल को देखकर आम लोगों ने भी इनका हौसला बढ़ाया है।
नवंबर में लिया संकल्प: सड़क पर आए दिन दुर्घटना में बेसहारा मवेशियों और श्वानों की जान जाती रहती है। मुंबई में एक निजी कंपनी में काम करने वाले शांतनू नवंबर में कार से अपने घर लखनऊ आ रहे थे। रास्ते में कई बेसहारा अपनी जान गंवाए सड़क के किनारे पड़े नजर आए। उन्हें देखकर शांतनू ने बेसहारा बेजुबानों के लिए कुछ ऐसा करने की सोंची, जिससे इनकी जान बचाई जा सके।
अपनी जेब से करते हैं खर्च: शांतनू बताते हैं कि रिफ्लेक्टर पट्टी लगाने में श्वान पर 15 से 20 और गाय पर 20 से 30 रुपये का खर्च आता है। अब तक करीब 40 गायों करीब दो हजार और 100 से अधिक श्वानों पर 1200 रुपये खर्च आ चुका है। शांतने के मुताबिक, बेजुबानों के लिए चारों अपने वेतन से खर्च करते हैं। उनका मानना है कि हम लोगों को देखकर कुछ और नौजवान जुड़ेंगे तो यह हमारी सबसे बड़ी सफलता होगी।
दोस्त रखेंगे इस मुहिम को जारी: शांतनू के मुताबिक, अभी वर्क फ्रॉम होम चल रहा है। जब भी मुंबई स्थित दफ्तर जाना पड़ा तो पीछे से लखनऊ निवासी मेरे तीन दोस्त इस मुहिम को जारी रखेंगे। मैं वहां सं आर्थिक सहयोग करता रहूंगा।