वर्ल्ड सायकल डे-साइकिलिंग के मानसिक और शारीरिक फ़ायदे को देखते हुए 3 जून को वर्ल्ड सायकल डे के रूप में मनाया जाता है
गरियाबंद- यहाँ बताना लाज़मी होगा ज़िले के मुख्या निलेशक्षीर सागर अपने को स्वस्थ रखने वा प्रकृति प्रेम के चलते रोज़ाना तक़रीबन सुबह 20 किलोमीटर का सफ़र और शाम को 10 किलोमीटर की साइकिलिंग
रोज़ाना करते है, उनका मानना है कि साइकिलिंग एक स्वस्थागत और बेहतरीन व्यायाम के साथ ही हमें आगे बढ़ने का जुनून पैदा करती है ,
वही यह यातायात प्रदूषण रहित साधन है , प्रत्येक व्यक्ति को रोज़मर्रा की ज़िंदगी में सायकल को ज़रूर शामिल करन चाहिये, अपने छोटे मोटे कामों के लिए सायकल का इस्तेमाल करना चाहिए जिससे काम के साथ स्वास्थ भी बना रहेगा लोगों के साईकिलिंग से दूर होने के कारण ही मोटापा और तमाम बीमारियों का गढ़ बनता जा रहा है शारीर, साइकिलिंग के ज़रिए मुझे प्रकृति के क़रीब जाना पसंद है जहाँ वाहन नहि पहुँच पाता वहाँ वे अपने सायकल से पहुँच जाते है , नियमित साइकिलिंग करना इनके शौक़ में शुमार है, सुबह और शाम इन्हे साईकिलिंग करते देखा जा सकता है . उन्होंने बताया की उन्हें विद्यार्थी जीवन से ही मुझे सायकल चलाना बेहद पसंद है , आज भी साइकिलिंग ही उनकी फ़िटनेस को बनाए हुए रखी है,सुबह साईंकिलिंग कर वो खुद को तरोताज़ा महसूस करते है, सायकल से लम्बी दूरी तय करना उन्हें बेहद पसंद है कभी कभी वे समय मिलने पर वे अपने पूरे परिवार के साथ साइकिलिंग करने निकलते है,उनका प्रकृति प्रेम ही उन्हें बार बार सायकल के साथ नदी नालों जंगलो और प्रकृति के क़रीब ले ज़ाता है, इनका सायकल प्रेम ऐसा है की व्यस्त जीवन शैली होने के बावजूद भी अपनी साइकिलिंग के लिए वक़्त निकाल ही लेते है ,इनसे प्रेरणा ले कर कई युवाओं ने इनसे साइकिलिंग करने की प्रेरणा ली है ,जिन्हें आजकल सुबह सड़कों मोटरसायकल नहि सायकल पर देखा जा सकता है ,वर्ल्ड सायकल डे की भावनाओं को साकार करते हमारे ज़िले के कलेक्टर निलेशक्षीर सागर लोगों के लिए प्रेरणा बने हुए है….