वरद चतुर्थी के दिन गणेश जी के निमित्त व्रत रखा जाता है। इस दिन गणेश पूजन में गणेश जी को दूर्वा और मोदक का भोग लगाना चाहिए। इस दिन लाल या सिंदूरी रंग के कपड़े पहन कर पूजन करना चाहिए। ये रंग भगवान गणेश को विशेष प्रिय है। इस दिन श्री शंकरचार्य रचित इस गणेश स्तुति का पाठ करना विशेष फल प्रदान करता है। गणेश जी की इस स्तुति का पाठ करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करनी चाहिए।

 

मुदा करात्तमोदकं सदा विमुक्तिसाधकं कलाधरावतंसकं विलासिलोकरञ्जकम्।

अनायकैकनायकं विनाशितेभदैत्यकं नताशुभाशुनाशकं नमामि तं विनायकम् ।। १।।

नतेतरातिभीकरं नवोदितार्कभास्वरं नमत्सुरारिनिर्जकं नताधिकापदुद्धरम् ।

सुरेश्वरमं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरं महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम् ।। २।।

समस्तलोकशंकरं निरस्तदैत्यकुञ्जरं दरेतरोदरं वरं वरेभवक्त्रमक्षरम्  .