
ग्रैंड न्यूज़ डेस्क। शादी को लेकर घर में गजब का उत्सव और उमंग देखने को मिलता है। रिश्तेदारों से भरा हुआ घर, ढोलक की थाप, थिरकती व नाचते-गाते घर वाले, मेहंदी से भरे हाथ, पकवानों की खुशबू से महकता घर आदि देखने को मिलता है। वहीँ शादी का एक अनोखा नजारा छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले (Kondagaon district of Chhattisgarh) से भी सामने आया है। यहाँ हल्दी रस्म के दौरान दुल्हन ने बच्चे को जन्म दिया। शादी के दौरान बेटे के जन्म ने परिवार की खुशियां दोगुनी कर दी है।

दरअसल, अनोखी शादी का यह मामला कोंडागाव जिले (Kondagaon District) के बड़ेराजपुर ब्लॉक (Bararajpur Block) अंतर्गत बांसकोट गांव (Banskot Village) में सामने आया है। यहां शादी की रस्म के दौरान ही दुल्हन ने एक बेटे को जन्म दिया है। हल्दी लेपन की तैयारी के दौरान दुल्हन के पेट में दर्द शुरू हो गया। हल्दी रस्म कार्यक्रम रोककर दुल्हन को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (Primary Health Centre) ले जाया गया, जहां उसने बेटे को जन्म दिया। बड़ेराजपुर के बांसकोट निवासी शिवबत्ती की शादी ओडिशा निवासी चंदन नेताम के साथ हो रही थी।
दुल्हन शिवबती की मां सरिता मंडावी ने बताया कि आदिवासी समाज में आज भी पैठू प्रथा चल रही है, जिसके चलते उनकी लड़की शिवबती 2021 में अपने पसंद से चंदन नेताम बांसकोट निवासी के घर पैठू गई हुई थी। 8 माह एक साथ रहने के बाद वर एवं वधु पक्ष के लोगों ने तय किया कि अब लड़के-लड़की की शादी कर देनी चाहिए। इसके शादी का निमंत्रण पत्र छपवाकर परिवार को भेजा। रिश्तेदार भी शादी में शामिल हुए।
शादी की खुशियां हुई दोहरी
दूल्हे के परिवार वालों ने लड़की के माता-पिता एवं उनके रिश्तेदारों को इस बात की सूचना दी और शादी की तिथि तय की गई। शादी में रिश्तेदारों व गांव के लोगों को निमंत्रण दिया गया। 30 जनवरी को हल्दी लेपन का कार्यक्रम व 31 जनवरी को शादी होनी थी। इसी बीच हल्दी लेपन के समय लड़की के पेट में दर्द शुरू हो गया। घर से लगभग 200 मीटर दूर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बांसकोट में दुल्हन को जांच के लिए ले जाया गया। रविवार की सुबह 10 बजे के करीब दुल्हन ने एक बच्चे को जन्म दिया। बच्चे के जन्म से शादी की खुशियां दोहरी हो गई है। अब दोहरी खुशी में परिवार शादी में जुटा हुआ है। लड़के के पिता छेदीलाल नेताम ने बताया कि वे आसपास के लोगों को निमंत्रण देकर आए थे। वधु पक्ष के लोग भी शादी में शामिल होने आ चुके हैं।
तो ये है आदिवासियों की पैठू प्रथा
आदिवासियों की संस्कृति, रहन-सहन, जीवनशैली व पूजा-पाठ के कई किस्से हैं। वे अपने पुरखों की सभ्यता व संस्कृति को आज भी सहेजे हुए हैं। आदिवासी समाज में आज भी पैठू प्रथा (paithu custom) का प्रचलन है। इस प्रथा में लड़की अपने पसंद के लड़के के घर जाती है और वहीं रहने लगती है। इस पर लड़की के घर वालों को किसी तरह का ऐतराज नहीं होता। इसके बाद वर एवं वधु पक्ष के लोग उचित समय देखकर उनकी शादी करा देते हैं। अक्सर नवाखाई या त्यौहार के मौके पर वैवाहिक कार्यक्रम तय किया जाता है। शहरी क्षेत्रों में इसे लिव इन रिलेशनशिप कहते जाता है, जहां युवक-युवती अपने पसंद से एक साथ बिना शादी के रह सकते हैं।