जगदलपुर। पुलिस विभाग में वन टाईम निरीक्षक , उप – निरीक्षक के पद पर नियुक्ति देने बनाये गये नियम में आरक्षकों को सीधे नक्सलक्षेत्र में काम करने के बाद टी आई बनाने हेतु प्रक्रिया तैयार की गयी थी । जिसमे कम से कम दस वर्ष नक्सल क्षेत्रों में सेवाओं के बाद ही मैदानी थानों में टी आई की पात्रता बतायी गयी थी । अब इन नियमो के विपरीत जगदलपुर के कोतवाली थाना में पदस्थापना देखा जा सकता है ।
दरअसल छत्तीसगढ़ प्रदेश में बस्तर संभाग , जो कि अति संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है , उक्त क्षेत्र में जवानों की पदस्थापना को बढ़ाने के लिए वन टाइम प्रमोशन का नियम बनाया गया था । उक्त नियम के अनुसार पुलिस विभाग द्वारा आरक्षकों को वन टाइम प्रमोशन इस शर्त पर बस्तर संभाग के नक्सल थाना क्षेत्र भेजा गया था कि 10 वर्ष लगातार उन्हें सेवा देने के बाद मैदानी थानों में टीआई के रूप में पद स्थापना दी जावेगी ।
वर्तमान में बस्तर जिला के मुख्यालय जगदलपुर के कोतवाली थाना के टी आई का नाम सामने आ रहा हैं जिन्हें नियम विरूद्ध थाना की जवाबदारी सौंपी गयी है । बस्तर क्षेत्र के संभाग , सुकमा , बीजापुर , दन्तेवाड़ा व नारायणपुर जिलों में दस वर्ष की सेवा की शर्त रखी गयी थी , जो पूरी नहीं हो पायी है । नियम में यह भी कहा गया था कि 10 वर्ष सेवा न करने पर विभागीय जांच के पश्चात मूलपद पर वापस भेज दिया जायेगा । साथ ही स्पष्ट रूप से यह शर्त भी रखी गयी थी कि ऐसे लोगों को थाना प्रभारी नहीं बनाया जायेगा । इस सबके बावजूद विभाग में नियमों को ताक पर रखकर गलत तरीके से थाना कोतवाली में टी आई पदस्थ कर उन लोगों के साथ अन्याय किया गया है , जो लोग वास्तव में टी आई होने का हक रखते हैं । थाना कोतवाली प्रभारी एमन साहू द्वारा 2018 से नक्सल अभियान में किसी भी रूप में भाग न लेते हुए मुख्यालय जगलपुर में अपनी पदस्थापना कराकर उक्त नियम की धज्जिया उड़ा रहे है |
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जिला बस्तर के जगदलपुर थाना कोतवाली में निरीक्षक एमन साहू अपनी पदस्थापना कराकर नक्सल अभियान में भाग ना लेकर थाना प्रभारी का कार्य कर रहे है । ऐसे वन टाईम पुलिस अधिकारी को राज्य शासन के नियमो के मुताबिक उन्हें उनके मूल पद पर पदस्थापना करने की आवश्यकता है । विभागीय सूत्रों के अनुसार वन टाइम प्रमोशन होने के बाद इनकी नियुक्ति अगस्त 2012 से मानी गयी थी जिसमे इन्हें कम से कम 10 साल नक्सल प्रभावित थाना क्षेत्र के रहते हुए नक्सल आपरेशन में भाग लेना अनिवार्य बताया गया है। परन्तु थाना कोतवाली निरीक्षक वर्ष 2018 में ही सुकमा जिले से निकल कर मुख्यालय जगदलपुर आ गये थे और आते ही थाना नगरनार प्रभारी बन गये, जो आज वर्तमान में जगदलपुर थाना सिटी कोतवाली प्रभारी बन कार्यरत है .उनकी पदस्थापना दौरान पूरे 10 साल नक्सली अभियान में कार्य ना कर मुख्यालय जगदलपुर थाना प्रभारी का कार्य कर रहे है व बस्तर संभाग के नक्सल थाना क्षेत्र में वन टाइम निरीक्षक के जगह डायरेक्ट निरीक्षक व उपनिरीक्षक नक्सली मोर्चा संभाले हुये है।
राज्य शासन के जारी ड्राफ्ट के अनुसार नक्सल प्रभावित क्षेत्र में रिक्त उप निरीक्षक एवं प्लाटून कमाण्डर के पदों की पूर्ति हेतु ONE TIME ( एक बार ) विभागीय पदोन्नति परीक्षा प्रक्रिया । वर्तमान में बस्तर क्षेत्र एवं राजनांदगाँव जिले में नक्सल विरोधी अभियान चलाया जा रहा है , किन्तु ऐसे क्षेत्र / जिलों में उप निरीक्षक एवं छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल की इकाईयों / कंपनियों के लिये स्वीकृत प्लाटून कमाण्डर के पद लंबे समय से रिक्त हैं अथवा जिन उप निरीक्षक एवं प्लाटून कमाण्डरों की पदस्थापना इन जिलो में की गई है , वे अधिक आयु के होने के कारण नक्सलियों के विरूद्ध चलाये जा रहे अभियान में प्रभावी भूमिका नहीं निभा पा रहे है । अतः इन जिलों में नक्सल विरोधी अभियान हेतु व्यवसायिक ज्ञान में निपुण एवं अपेक्षाकृत युवा उप निरीक्षक / प्लाटून कमाण्डरों की आवश्यकता महसूस की जा रही है , ताकि अभियान के दौरान भाग लेने वाली छोटी – छोटी टुकड़ियों के प्रभावी नेतृत्व के साथ – साथ राज्य पुलिस एवं केन्द्रीय अर्द्धसैनिक बलों द्वारा संचालित किये जाने वाले संयुक्त ऑपरेशन के दौरान परस्पर समन्वय स्थापित किया जा सके ।
इन नियमो के तहत हो सकती है टीआई की वापसी !
राज्य शासन के नियमानुसार ड्राफ्ट में बताया गया है कि एक बार इस पदोन्नति प्रक्रिया के माध्यम से पदोन्नत हुए कर्मचारियों को कम से कम 10 वर्ष नक्सल प्रभावित ( SRE जिलो ) में पदस्थापना हेतु सहमति देना अनिवार्य होगा । पुलिस अधिकारी को इस योजना के अंतर्गत तैनाती अवधि के दौरान केवल देय अवकाश के लिए ही पात्रता होगी अर्थात् पूर्व अवधि के जमा अवकाश का लाभ इस अवधि में उसे नहीं मिलेगा । इस अवधि में अनुपस्थिति की अवधि शामिल नहीं की जावेगी शारीरिक अक्षमता एवं नक्सल विशेष क्षेत्र में कार्य हेतु इच्छुक न होने पर या अन्यत्र स्थानांतरण की स्थिति में पदोन्नति प्रारंभिक तौर से वापस ले ली जायेगी और अभ्यर्थी को उसके मूल पद पर प्रत्यावर्तित कर दिय जावेगा । इस पदोन्नति प्रक्रिया के अंतर्गत पदोन्नत प्राप्त अधिकारी उपरोक्तानुसार 10 वर्ष तक की सेवा पूर्ण करने के बाद उसकी पदस्थापना नक्सल प्रभावित क्षेत्र से भिन्न अन्य क्षेत्रों में की जा सकेगी एवं उनकी वरिष्ठता उप निरीक्षक , प्लाटून कमाण्डर की सूची में क्रमशः उनके पद ग्रहण करने की तिथि से निर्धारित की जावेगी । योजना के अंतर्गत पदस्थ अधिकारी , कर्मचारी पात्रतानुसार पदोन्नति के पात्र होंगे , किंतु पदोन्नत होने के पश्चात् भी कुल 10 वर्ष की अवधि नक्सल क्षेत्र में पूर्ण करना अनिवार्य होगा