शिंदे का जन्म 9 फरवरी 1964 को हुआ था। वे महाराष्ट्र के सतारा जिले के पहाड़ी जवाली तालुका के रहने वाले हैं, लेकिन उनकी कर्मभूमि ठाणे रही। शुरुआत में शिंदे ठाणे में ऑटो चलाते थे। एकनाथ के पीए रह चुके इम्तियाज शेख उर्फ ‘बच्चा’ के मुताबिक ऑटो चालक के साथ शिंदे आरएसएस शाखा प्रमुख यानी मुख्य शिक्षक थे।
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शिवसेना के कद्दावर नेता आनंद दिघे से प्रभावित होकर उन्होंने शिवसेना जॉइन कर ली। दिघे ही शिंदे के राजनीतिक गुरु थे। शिंदे पहले शिवसेना के शाखा प्रमुख और फिर ठाणे म्युनिसिपल के कॉर्पोरेटर ( corporater) गए। बेटा-बेटी की मौत के बाद जब शिंदे ने राजनीति छोड़ने का फैसला किया, तो दिघे ही उन्हें वापस लाए थे।
साल 2004 में पहली दफा विधायक बने
शिंदे भी अपने गुरु की तरह जनता के नेता रहे। साल 2004 में पहली दफा विधायक बने। उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। देखते ही देखते ठाणे में ऐसा वर्चस्व बना लिया कि वहां की राजनीति का केंद्र बन गए।
एक एक्सीडेंट जो बदल दी जिंदगी ( life)
2 जून 2000 की बात है। एकनाथ शिंदे अपने 11 साल के बेटे दीपेश और 7 साल की बेटी शुभदा के साथ सतारा गए थे। बोटिंग करते हुए एक्सीडेंट( accident) हुआ और शिंदे के दोनों बच्चे उनकी आंखों के सामने डूब गए।
‘ये मेरी जिंदगी का सबसे काला दिन था’- शिंदे
एक इंटरव्यू में इस दर्दनाक घटना( accident) को याद करते हुए शिंदे ने कहा था, ‘ये मेरी जिंदगी का सबसे काला दिन था। मैं पूरी तरह टूट चुका था। मैंने सब कुछ छोड़ने का फैसला किया। राजनीति भी।’इस घटना को 22 साल हो चुके हैं। फिलहाल एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री( chief minister) नने जा रहे हैं।