हिंदू धर्म में नाग पंचमी का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना का ही प्रावधान है। दरअसल, सावन महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। वैसे तो प्राचीन काल से हिंदू धर्म में नागों की पूजा अर्चना होती है। लेकिन नाग पंचमी पर पूजा अर्चना का विशेष लाभ प्राप्त होता है।
इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है। नाग देवता को शिव जी के आभूषण के रूप में माना जाता है। पंडित के मुताबिक नागों की पूजा करने से आध्यात्मिक शक्ति, अपार धन और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। वैसे तो तीजोत्सव के दो दिन बाद ही नाग पंचमी को त्योहार आता है। वहीं, इस साल नाग पंचमी का त्योहार 2 अगस्त को मनाया जाएगा।
नाग पंचमी के दिन नाग देवता और भगवान शिव की विधि विधान से पूजा का महत्व है। ऐसा माना जाता है कि नाग पंचमी का त्योहार भी सावन की तरह भगवान शिव को ही समर्पित है। मान्यता के मुताबिक नाग पंचमी के दिन नाग देवता और भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करने पर मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं नाग पंचमी का शुभ मुहूर्त व पूजा की विधि।
इस विधि से करें पूजा अर्चना
- सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
- स्नान के पश्चात घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- इस पावन दिन शिवलिंग पर जल जरूर अर्पित करें।
- नाग देवता का अभिषेक करें।
- नाग देवता को दूध का भोग लगाएं।
- भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश को भी भोग लगाएं।
- नाग देवता की आरती कर सकते हैं और साधक इस दिन व्रत भी कर सकते हैं।
नाग पंचमी के दिन पूजा में इस सामग्री को करें शामिल
दूध, पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री के साथ नाग देवता की तस्वीर को भी शामिल कर लेना चाहिए।