बदलते वक़्त के साथ बदलता परिवेश का एक अन्दाज़ कुछ यू भी देखने मिल रहा है सोशल मीडिया पर लोग वाटस्प के ज़रिए छेर छेरा माँग रहे है, कुछ लोगो ने बाक़ायदा अपने स्टेट्स पर क्यू आर कोड लगा रखा है तो कुछ अपने क्यू आर कोड को ग्रुप में डाल कर भी स्कैन कर छेर छेरा की माँग कर रहे है , आज जब लोग बहुत ज़्यादा व्यस्तता के बीच अपने काम से समय निकाल नहीं पा रहे है , वे सोशल मीडिया के ज़रिए ही छेर छेरा पर्व का आनंद ले रहे है ,इस बारे में प्रकास सोनी ने बतलाया वाटसप में क्यू आर कोड के ज़रिए छेर छेरा माँगने की बात कैसे सूझी, उन्होंने ने बतलाया आज सभी चीजें मोबाइल में सिमटती जा रही है चाहे वो व्यापारी के लिये अपने दुकान में समान ख़रीदी की बात हो कर्मचारियों की मीटिंग की बात हो या विद्यार्थियों की आन लाइन पढ़ाई की बात हो सारी चीजें आज कल आन लाइन हो गई है , हालाकि इन सब पर्व का मज़ा तो फ़िज़िकल तौर से मनाने पर ही आता है, बचपन में आज के दिन का इंतेज़ार सुबह से ही रहता था हम सब दोस्त छेर छेरा माँगने पूरे मुहल्ले में घुमा करते थे और फिर सभी इकट्ठा हो कर धान बेच कर आए पैसों से क्रिकेट की बैट बाल ख़रीदते थे, आज व्यस्त ज़िंदगी में समय नहीं मिल पता इसीलिए वाटस्प के ज़रिए अपनी परंपराओ को निभाते हुए अपने दोस्त रिश्तेदारों से छेर छेरा पर्व की ख़ुशिया साझा कर रहे है ,
वही अनुराग केला ने बतलाया आज सुबह से ही वाटस्प पर दोस्तों का क्यू आर कोड आना शुरू हूँआ एक समय के लिये मैं समझ नहीं पाया फिर नीचे लिखा शब्द ने आज का दिन बना दिया छेर छेरा ये दो शब्द बहुत कुछ कह जाती है ना जाने इस पर्व से बचपन की कितनी यादे और भावनाये जुड़ी हुई है आज का ये पर्व छेर छेरा बचपन में सभी दोस्त इस पर्व को धूमधाम से मानते रहे है आज वक़्त के साथ सभी अपने अपने काम और अलग अलग शहरों व अलग स्टेट्स में बसे हुए है पर सभी सोश्ल मीडिये के ज़रिए आज एक दूसरे से संपर्क में है आज छेर छेरा पुन्नी पर्व की बधाई और क्यू आर कोड के साथ यादे ताज़ा हो गई