रायपुर। अडानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को पूर्व केंद्रीय मंत्री भक्त चरण दास ने देश में इस वक्त का सबसे बड़ा मुद्दा करार दिया है. उन्होंने कहा कि यह अब तक सबसे बड़ा वित्तीय फ्रॉड है. दुनिया हमारी छवि इससे क्या बन रही है? यह सभी बड़ा सवाल है. ‘हम अडानी के हैं कौन’ पर आज देशभर में कांग्रेस की ओर से पत्रवार्ता की जा रही है. इस कड़ी में पूर्व केंद्रीय मंत्री भक्त चरण दास महंत ने पीसीसी चीफ मोहन मरकाम के साथ रायपुर में मीडिया से रू-ब-रू हुए. भक्त चरण दास ने कहा कि देश में जब से मोदी सरकार आई है. देश में मानव संसाधन में कमी आई है. नोटबन्दी, कोरोना, महंगाई ने देश की आर्थिक स्थिति बदतर कर दी. आज देश में महंगाई कई गुना बढ़ गई है. देश में बेरोजगारी है. विश्व भर से 4 गुना अधिक है. देश में बेरोजगारी दर 9 फीसदी तक पहुँच गई है. 20 करोड़ रोजगार खत्म हुआ है.
उन्होंने कहा कि देश की जनता को गुमराह करने भाजपा की सरकार साम्प्रदायिक मुद्दों को सामने लाती हैं. राहुल गांधी इन तमाम मुद्दों को जनता के सामने लाते रहे. भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उन्होंने जनता के सामने हकीकत को बयां किया. संसद में हमारे नेताओं ने इन मुद्दों को उठाया, लेकिन राहुल गांधी के भाषण को भी हटाने का काम किया गया. यह पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है. देश की जनता यह सब देख रही है. राहुल गांधी जो सवाल उठा रहे हैं, वो देश के लिए जरूरी है. लेकिन सत्ता पक्ष अब इन सवालों से डरने लगी है. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर चुप कैसे रहा जा सकता है? क्या देश के लिए अच्छा होगा? भारत की जनता की जमापूंजी से अगर अडानी कंपनी ग्रो करे, वह भी फर्जी तरीके से तो क्या इस पर चुप रहा जा सकता है? कांग्रेस पार्टी जनता के पैसे डूबने पर चुप नहीं रह सकती. कांग्रेस इस मामले में लड़ रही है और लड़ेगी. एक से एक फ्राड हुआ है. मोदी सरकार की ओर से अडानी को सपोर्ट किया गया. हमने इस पर मामले की जेपीसी जांच की मांग की है, लेकिन इस मोदी सरकार फैसला नहीं ले रही है.
भक्त चरण दास ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी काला धन वापस लाने की बात कहते रहे, लेकिन उनके मित्र भारत का धन जमा करते चले गए. उन्होंने हर नागरिक को 15 लाख देने का वादा किया था, लेकिन एक रुपये तक किसी भारतीय के खाते में नहीं आया. हम जानना चाहते हैं कि काले धन का असली मालिल कौन है? मोदी सरकार केंद्रीय जांच एजंसियों का दुरुपयोग किया है. सेबी अपनी भूमिका सही निर्वहन नहीं किया. अडानी समूह के शेयरों में हेर-फेर होने की कोई जांच नहीं हुई. लाखों करोड़ रुपये की गिरावट के बाद भी मोदी सरकार अडानी समूह को बचाने में लगी हुई है, जबकि समूह के ऊपर अब कई गम्भीर आरोप लग चुके हैं.