निर्वाचन आयोग ने सोमवार को कहा कि पांच चुनावी राज्यों में 1,760 करोड़ रुपये से अधिक की मुफ्त चीजें, मादक पदार्थ, नकदी, शराब और कीमती सामान जब्त की जा चुकी हैं, और दावा किया कि यह सभी चीजें मतदाताओं को लुभाने के लिए थीं । आयोग ने बताया कि 9 अक्टूबर को चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के बाद से अब तक की गई जब्ती इन राज्यों में 2018 में पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान की गई जब्ती से सात गुना (239.15 करोड़ रुपये) से अधिक है। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान हो चुके हैं, जबकि राजस्थान में 25 और तेलंगाना में 30 नवंबर को मतदान होंगे। आयोग के एक बयान के अनुसार, इससे पहले छह राज्यों- गुजरात, हिमाचल प्रदेश, नगालैंड, मेघालय, त्रिपुरा और कर्नाटक, में विधानसभा चुनावों के दौरान 1,400 करोड़ रुपये से अधिक की जब्ती की गई थी, जो इन राज्यों में पिछले विधानसभा चुनावों में की गई जब्ती से 11 गुना अधिक थी।
चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि पांच राज्यों के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते समय, मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने सभी उम्मीदवारों और दलों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के मद्देनजर प्रलोभन मुक्त चुनाव पर जोर दिया था। बयान में कहा गया कि इस बार, आयोग ने चुनाव व्यय निगरानी प्रणाली (ईएसएमएस) के माध्यम से निगरानी प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी को भी शामिल किया है जो एक उत्प्रेरक साबित हो रहा है, क्योंकि इसने बेहतर समन्वय और खुफिया जानकारी साझा करने के लिए केंद्रीय और राज्य प्रवर्तन एजेंसियों की एक विस्तृत श्रृंखला को एक साथ लाने का काम किया है।
दिलचस्प बात यह है कि चुनाव आयोग के अनुसार, मिजोरम में कोई नकदी या कीमती चीजें जब्त नहीं की गई, लेकिन अधिकारियों ने 29.82 करोड़ रुपये के मादक पदार्थ बरामद किये। चुनाव आयोग ने विभिन्न सेवाओं के 228 अधिकारियों को व्यय पर्यवेक्षकों के रूप में तैनात किया है। कड़ी निगरानी के लिए 194 विधानसभा क्षेत्रों को ‘‘व्यय संवेदनशील’’ सीटों के रूप में चिह्नित किया गया था। आयोग का मानना है कि जब्ती का यह आकड़ा बढ़ सकता है।