रायपुर। RAIPUR NEWS : जैतू साव मठ पुरानी बस्ती रायपुर में आज आंवला नवमी मनाया गया। भगवान लक्ष्मीनारायण जी को चांदी के सिंहासन में विराजमान करके विधिवत् पुजा अर्चना के बाद माताओ द्वारा मौली धागा से आंवला की प्रदक्षिणा की गई, एवं 56 भोग की नैवेद्य अर्पण किया गया और आंवला वृक्ष के निचे बैठ कर भोजन प्रसादी वितरण किया गया। पुजन में राजेश्री महंत रामसुंदर दास जी महाराज, अजय तिवारी, सचिव महेंद्र अग्रवाल, पुजारी सुमित तिवारी, दीपक पाठक समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन उपस्थित थे।
आंवला नवमी के दिन भगवान विष्णु और आंवले के वृक्ष की पूजा का खास महत्व है। मान्यता है कि इस दिन दान आदि करने से पुण्य का फल इस जन्म में तो मिलता ही है साथ ही अगले जन्म में भी मिलता ह। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ से अमृत की बूंदें टपकती हैं, इसलिए इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठने और भोजन करने की परंपरा है. ऐसा करने से सेहत अच्छी रहती है। इसके साथ ही अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है।
आंवला या अक्षय नवमी के दिन से द्वापर युग का प्रारंभ हुआ था। इस युग में भगवान श्रीहरि विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। आंवला नवमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन-गोकुल की गलियों को छोड़कर मथुरा प्रस्थान किया था। यही वो दिन था जब उन्होंने अपनी बाल लीलाओं का त्याग कर कर्तव्य के पथ पर कदम रखा था। इसीलिए आंवला नवमी के दिन से वृंदावन परिक्रमा भी प्रारंभ होती है। आंवला नवमी के दिन ही आदि शंकराचार्य ने एक वृद्धा की गरीबी दूर करने के लिए स्वर्ण के आंवला फलों की वर्षा करवाई थी।