रायपुर। प्रदेश में भूपेश सरकार को 15 माह बीत चुके हैं, यानी विपक्ष की भूमिका में भाजपा को भी इतना ही समय हो चुका है, पर इस दरम्यान प्रदेश भाजपा विपक्ष में होने तक का अहसास नहीं करा पाई है। उल्टे छग में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में भाजपा को जिस बुरी तरह पटखनी दी, एकमात्र लोकसभा चुनाव में सफलता को किनारे रख दें, तो शेष चुनावी समर में कांग्रेस का दिग्विजय रथ पूरे वेग के साथ दौड़ता नजर आया है।
बीते 15 महीनों के कार्यकाल में पूर्व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने अपनी कार्यकारिणी भी नहीं बनाई थी। इस बीच केवल 18 जिलों के अध्यक्षों की नियुक्ति मात्र ही हो पाई, वह भी विवादास्पद ही रहा। अब विष्णुदेव साय के कमान संभालने के साथ ही नई कार्यकारिणी को लेकर मशक्कत शुरू हो गई है। संगठन के लोगों के साथ ही राजनीतिक पंडितों का मानना है कि प्रदेश में भाजपा को यदि अपने अस्तित्व का अहसास दिलाना है, तो इसके लिए सबसे पहले नए चेहरों को लेकर कार्यकारिणी का गठन करने की जरूरत है।
प्रदेश के मुखिया यानी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जितने संवेदनशील माने जाते हैं, उनकी कार्य की शैली उतनी ही ज्यादा आक्रामक है। उनके इस तेवर के मुकाबले प्रदेश भाजपा में केवल पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर और बृजमोहन अग्रवाल ही खरे उतरते हैं। अपनी आक्रामक शैली के बूते ही उन्होंने भाजपा को 15 साल बाद ही सही पर सत्ता से बाहर किया, ऐसे में जरूरी है कि भाजपा भी उनकी शैली के मुकाबले वाले चेहरों के साथ संगठन का विस्तार करे। बहरहाल नए प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदेव साय की मंशा क्या है, शेष बातें इस पर निर्भर करेंगी।