CG NEWS : दुर्ग। शिक्षा को बढ़ावा देने केंद्र और राज्य की सरकारें लगातार प्रयत्न कर रही है, सरकारों के प्रयास से साक्षरता दर में बढ़ोतरी भी हो रही है, शिक्षा के दर को बढ़ाने में दुर्ग जिले के शिक्षक प्रोफेसर कुछ ऐसा काम कर रहे हैं, जो दुर्ग साइंस कॉलेज के प्रोफेसर निजी स्तर पर एक ऐसी विशेष योजना चला रहे हैं, जो अब तक छत्तीसगढ़ में ना किसी प्रोफेसर ना किसी महाविद्यालय ने चलाई और ना किसी ने उस स्तर पर जाकर सोचा, इस अनूठी योजना को देखकर आप भी कह उठेंगे कि वाकई ये सभी शिक्षक प्रोफेसर राष्ट्र निर्माता के साथ-साथ एक जिम्मेदार अभिभावक भी है।
इस साल से दुर्ग सांइस कॉलेज ऑटोनोमस व्यवस्था में चलेगा, यानी साल में दो बार सेमेस्टर परीक्षाएं होगी। ऐसे में यहां पढ़ रहे गरीब तबके के विद्यार्थियों पर फीस के भुगतान का दबाव बढ़ जाता है, आर्थिक रूप से सक्षम न होने की वजह से यह विद्यार्थी परेशान न हो इसके लिए सांइस कॉलेज के प्रोफेसर मददगार बन रहे हैं दुर्ग सांइस कॉलेज के प्रोफेसरों ने 3 सालों में 19 लाख रुपए राशि कॉलेज को डोनेट की हैं। जिसका उपयोग कमजोर आर्थिक स्थिति छात्रों की फीस का भुगतान करने में होगा। साइंस कॉलेज को 19 लाख रुपए का फंड एलुमनी विद्यार्थियों के जरिए मिला हैं। इसमें अधिकतर साइंस कॉलेज के प्रोफेसर्स ही हैं, जिन्होंने यहीं से पढ़ाई की और फिर यहीं नौकरी भी हासिल की। गरीब तबके के विद्यार्थियों के लिए राशि जुटाने के कॉलेज ने सभी प्रोफेसरों से सहयोग मांगा, जिसके बाद प्रोफेसरों ने एक से तीन लाख रुपए की मदद कर दी। दुर्ग सांइस कॉलेज के अधिकतर विद्यार्थियों में से 70 फ़ीसदी ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं और कुछ बच्चे बाहरी जिले के आकर पढ़ाई करते हैं। जिनके परिवार की स्थिति सही नहीं हैं। ऐसे में सेमेस्टर सिस्टम होने से इन पर शुल्क भुगतान का अतिरिक्त दबाव बढ़ जाता है, ऐसे छात्रों को कॉलेज के द्वारा मदद की जाती है।
प्रोफेसर का कहना है कि कई बच्चे मेरिट में होने के बाद भी फीस जमा नहीं कर पाते, ऐसे बच्चों के लिए कॉलेज के प्रोफेसरों ने पैसा इकट्ठा करने का निर्णय लिया, उसके बाद जो विद्यार्थी फीस जमा नहीं कर पाता उनके लिए फंड बनाया गया है, जिससे इनकी फीस भर दी जाता है। स्टूडेंट का कहना है कि कॉलेज के द्वारा फीस के साथ-साथ बुक भी प्रोवाइड कर आते हैं।