देश में ग्रामीण परंपराओं के लौटने का क्रम तेजी के साथ नजर आ रहा है छत्तीसगढ़ में जहां गोधन या योजना के तहत ग्रामीणों से मवेशियों का गोबर खरीदा जा रहा है, तो देश में अब गोबर से पेंट का निर्माण होना शुरू हो गया है। जिसे प्राकृतिक पेंट का नाम दिया गया है।
पूर्व में घर की सफाई और शुद्धता के लिए गोबर का ही उपयोग हुआ करता था लेकिन आधुनिकता की अंधी दौड़ में गोबर को प्रयोग बंद हो गया और रासायनिक पेंट ने उसकी जगह ले ली। पर अब देश एक बार फिर से प्रकृति की गोद में समाने लगा है।
यह एक पर्यावरण के अनुकूल, गैर विषाक्त पेंट है, जिसे ‘खादी प्राकृतिक पेंट’ नाम दिया गया है। यह अपनी तरह का पहला उत्पाद है, जिसमें एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण समाहित हैं। इस पेंट को अंदर और बाहर दोनों ही दीवारों पर लगाया जा सकता है। डिस्टेंपर और इमल्शन पेंट दोनों ही सफेद आधार रंग (बेस कलर) में उपलब्ध हैं, और उचित रंगों के मिश्रण से कोई भी रंग बनाया जा सकता है।
लॉन्च कार्यक्रम के दौरान नितिन गडकरी ने कहा कि यह प्रयास किसानों की आय को बढ़ाने वाले प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। उन्होंने कहा कि यह कदम ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने का इतना प्रभावशाली प्रयास है, जिससे शहरों में रह रहे ग्रामीणों का फिर से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर पलायन शुरू हो जाएगा।
पेंट की सस्ती दरों (डिस्टेंपर केवल 120 रुपये प्रति लीटर और इमल्सन केवल 225 रुपये प्रति लीटर) के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि ये कीमतें बड़ी कंपनियों द्वारा वसूली जाने वाली कीमतों की तुलना में आधे से भी कम हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि इस पेंट के निर्माण और विपणन में सरकार की भूमिका केवल एक सूत्रधार की है, वास्तव में इस पेंट का निर्माण और विपणन पेशेवर तरीके से किया जाएगा और इसे देश के प्रत्येक हिस्से तक पहुंचाया जाएगा।