सीरम इंस्टीट्यूट को प्राइवेट इक्विटी फर्म टीजीपी कैपिटल, अबु धाबी की एडीक्यू और सऊद अरब की पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड के एक कंसोर्टियम की तरफ से एक ऑफर दिया गया था। यह ऑफर करीब 1 अरब डॉलर का निवेश करने का था। हालांकि, पूनावाला फैमिली ने इस ऑफर को ठुकरा दिया और अपना स्टेक नहीं बेचने का फैसला किया है।
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सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ग्लोबल इन्वेस्टर्स के साथ पिछले साल एक अरब डॉलर की बड़ी डील करने वाला थी। हालांकि, अक्टूबर के करीब डेडलाइन से पहले ही सीरम इंस्टीट्यूट ने डील से हाथ पीछे खींच लिए। सीरम इंस्टीट्यूट ने ये सब उस वक्त किया है, जब कंपनी कोरोना की वैक्सीन का प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए पैसों की किल्लत से जूझ रही थी। इस बात की जानकारी मामले से जुड़े दो लोगों ने दी है।
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अदार पूनावाला की सीरम इंस्टीट्यूट वैल्युएशन को लेकर इस डील पर राजी नहीं हुई और तारीख से कुछ दिन पहले ही पिछले साल अक्टूबर में कंपनी ने डील करने से मना कर दिया। मामले के जानकार लोगों ने बताया कि ये डील नहीं करने की एक बड़ी वजह यह भी रही कि कंपनी को बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की तरफ से 300 मिलियन डॉलर का निवेश मिला था, जिससे लो और मिडल इनकम वाले देशों को वैक्सीन मुहैया करानी थी।
आखिरी मिनट पर फैसला
पूनावाला की कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ने 5 इंटरनेशनल फार्मास्युटिकल कंपनियों से भी पार्टनरशिप की है, जिनमें एस्ट्राजेनेका और नोवावैक्स भी शामिल हैं। इसके तहत उनकी कंपनी कोरोना वैक्सीन की 1 अरब डोज बनाएगा, जिसमें से आधी भारत को मिलनी हैं। हालांकि, पूनावाला ने अपना मन बदल लिया है और विदेशी कंपनियों से निवेश लेने से मना कर दिया है। मामले से जुड़े एक शख्स ने कहा है कि पूनावाला फैमिली ने आखिरी मिनट में अपनी हिस्सेदारी कम करने को लेकर अंतिम फैसला किया है और हिस्सेदारी नहीं बेची है।